




मिलरों से ज्यादा चावल लेकर अतिशेष की कालाबाजारी, धर्मकांटा का कैलिब्रेशन कब हुआ पता नहीं, पीडीएस ठेकेदारों के लिए लोहरसिंह में विशेष व्यवस्था
रायगढ़, 10 अप्रैल। पीडीएस चावल जमा करने के लिए निर्धारित गोदामों में वजन का खेल बहुत बड़े स्तर पर पहुंच गया है। कांग्रेस शासनकाल में पीडीएस चावल घोटाले को मुद्दा बनाकर भाजपा ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन सरकार बदलने के बाद भी कुछ नहीं बदला। वजन में हेराफेरी के बाद पीडीएस चावल दलालों और ठेकेदारों से सांठगांठ और भी गहरी हो चुकी है। लोहरसिंह और औरदा गोदामों में धर्मकांटा में ही छेड़छाड़ कर दी गई है।पिछले दिनों बरपाली पंचायत की राशन दुकान में चावल की हेराफेरी ने इस घपले की ओर इशारा भर किया था। बरपाली कांड में पुलिस और प्रशासन की ढीली पकड़ के कारण मुख्य आरोपी अभी भी खेल में बने हुए हैं। अब नागरिक आपूर्ति निगम के लोहरसिंह और औरदा में वजन का बड़ा खेल सामने आ रहा है। शॉर्टेज के नाम पर दोनों गोदामों के प्रभारी एक समानांतर व्यवस्था चला रहे हैं। राइस मिलर के 290 क्विंटल लॉट में कम वजन दर्ज किया जा रहा है। किसी को 288 क्विं. तो किसी को 289 क्विं. की पर्ची दी जाती है। किसी लॉट में दो क्विं. तो किसी में तीन क्विं. तक चावल अधिक लिया जाता है।तिशेष चावल के अलावा स्टॉक में बड़ा गोलमाल होता है। धर्मकांटा सही रखने के बजाय इसे अपने हिसाब से सेट किया जाता है। एसडब्ल्यूसी के दोनों गोदामों में नान का चावल जमा होता है। अगर यहां के धर्मकांटे से वजन करवाने के बाद दूसरे जगह वजन करवाया जाता है तो एक-डेढ़ क्विं. का अंतर मामूली बात है।पीडीएस दुकाानों में कम चावल
लोहरसिंह और औरदा गोदामों से पीडीएस दुकानों को चावल भेजा जाता है। कई दुकानदारों ने कम वजन की शिकायत खाद्य विभाग से की है। हैरानी की बात यह है कि खाद्य विभाग ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिए बिना गोदाम प्रभारियों का पक्ष लिया है। औरदा में राघव और लोहरसिंह में गुर्जर गोदाम प्रभारी हैं। सूत्रों के मुताबिक लोहरसिंह में किसी मोहन नामक पीडीएस ठेकेदार का वर्चस्व है। जो डीएम नान के दफ्तर में भी दखल रखता है।लोहरसिंह गोदाम में डनसेना नामक कर्मचारी काफी मशहूर है। उसको हर राइस मिल का पता मालूम है। बताया जा रहा है कि हर महीने यह राइस मिलों के चक्कर लगाता है। इसके पीछे प्रभारी गुर्जर का संरक्षण है। हर लॉट में अतिरिक्त चावल लेने के बाद इसका क्या होता है, सबको मालूम है। केवल कलेक्टर को अंधेरे में रखा जा रहा है।600 रुपए प्रति लॉट का क्या मामला है?
कांग्रेस शासनकाल में भाजपा ने कस्टम मिलिंग में अवैध वसूली का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। सरकार बदल गई लेकिन यह मुद्दा अब भी वहीं है। कर्ई राइस मिलर इसको अब खुलकर कहने लगे हैं। दोनों गोदामों में बिना समझौता हुए गाड़ी अंदर नहीं जाती। हर मिलर को एंट्री टैक्स देना होता है। पूरा काम कैश में होता है। लेकिन नकद कौन लेता है और कहां ले जाता है, इसको कोई खुलकर नहीं कहता। आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले यहां अधिक हैं।