




नई सरकार ने भी नहीं लिया कोई ठोस निर्णय, 3 महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण लचर
रायगढ़, 23 मार्च। सूबे में सरकार तो बदल गई लेकिन सलीका नहीं बदला है। रायगढ़ जिले में सड़कों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। तीन प्रमुख सड़कों के निर्माण की गति धीमी है। रोड खराब होने के कारण जाम और दुर्घटनाएं आए दिन हो रही हैं। बिजली सबको चाहिए, इसके लिए कोयला जरूरी है, पावर प्लांटों को कोयला मिलना चाहिए लेकिन इसके बदले में जो लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं, उनकी चिंता किसी को नहीं है। तमनार और घरघोड़ा क्षेत्र की सड़कों का बुरा हाल हो चुका है। पूर्व सरकार ने एनजीटी के आदेश के बाद तीन सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी थी। लेकिन अब तक सड़क निर्माण को लेकर बहुत अच्छी स्थिति नहीं है।
रायगढ़ से घरघोड़ा-धरमजयगढ़, पूंजीपथरा से तमनार और घरघोड़ा से जामपाली रोड का निर्माण नहीं होने से क्षेत्र के लोग बहुत मुश्किल में हैं। 2021-22 में काम शुरू होने के बाद ठेकेदारों ने धीमी गति से काम किया। नई सरकार ने समीक्षा के बाद दो सड़कों का एग्रीमेंट निरस्त करने की चेतावनी दी लेकिन फिर से ठेकेदारों को मौका दिया है। घरघोड़ा-जामपाली 19 किमी रोड है। इस रोड के लिए एसईसीएल ने 42 करोड़ रुपए दिए थे। पीडब्ल्यूडी ने टेंडर जारी किया था जिसमें राहुल कंस्ट्रक्शन ने करीब 13 प्रश कम दर पर 36.44 करोड़ में ठेका हासिल किया था। लेकिन ठेकेदार के काम की रफ्तार बेहद धीमी है।
पूंजीपथरा-तमनार- मिलूपारा 26 किमी रोड के लिए 62 करोड़ की स्वीकृति मिली थी। इसका ठेका शांति इंजीकॉन कोरबा को दिया गया था। लेकिन ठेका कंपनी ने तेजी से काम ही नहीं किया। तीसरी सड़क का काम तो बीबी वर्मा कोरबा को मिला है। 90.12 करोड़ की स्वीकृति मिली थी लेकिन ठेकेदार ने करीब 13 प्रश बिलो में 78.58 करोड़ में ठेका लिया है। इस रोड का काम भी बहुत धीमा है।पूंजीपथरा-तमनार- मिलूपारा 26 किमी रोड के लिए 62 करोड़ की स्वीकृति मिली थी। इसका ठेका शांति इंजीकॉन कोरबा को दिया गया था। लेकिन ठेका कंपनी ने तेजी से काम ही नहीं किया। तीसरी सड़क का काम तो बीबी वर्मा कोरबा को मिला है। 90.12 करोड़ की स्वीकृति मिली थी लेकिन ठेकेदार ने करीब 13 प्रश बिलो में 78.58 करोड़ में ठेका लिया है। इस रोड का काम भी बहुत धीमा है।
गुणवत्ता का नहीं रख रहे ध्यान
इन तीनों सड़कों पर कोयला परिवहन करने वाली गाड़ियां दौड़ेंगी। इस हिसाब से निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। ठेकेदार ने बिलो में ठेका लेकर पेटी में काम दे दिया है। मटेरियल की भी किल्लत है। इसलिए जैसे-तैसे काम हो रहा है। मजे की बात यह है कि इस पर कोई नेता कुछ नहीं कहना चाहता। कोई उच्चाधिकारी भी रोड का निरीक्षण नहीं करने जाता।