




रायगढ़: सामने अगर चुनाव हों तो फिर सत्तासीन पार्टी सब कुछ देखकर निर्णय लेती है। यही कारण है कि धान की बोगस खरीदी करने वाले और फर्जी लोन लेने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई। कलेक्टर ने भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट मंगवाई थी जो नहीं पहुंची है। धान खरीदी के दौरान उपार्जन केंद्रों में सख्ती बरतने के बजाय ढील दी गई। इसी का नतीजा है कि बोगस खरीदी में सरकार को करोड़ों का नुकसान हो गया। शासन ने उस धान का भुगतान भी किया जो केंद्र में आया ही नहीं। इस पर कार्रवाई के बजाय परदा डाला गया।
अभी भी 15 केंद्रों में धान की कमी को छिपाया गया। एडजस्ट करने के लिए प्रबंधकों को भरपूर समय दिया गया, लेकिन अब भी धान की कमी बरकरार है। सूत्रों के मुताबिक सब कुछ मालूम होते हुए भी सख्त कार्रवाई इसलिए नहीं की गई क्योंकि लोकसभा चुनाव सामने हैं। भाजपा सरकार को नुकसान का अंदेशा है इसलिए सात मई के बाद ही कोई कार्रवाई होगी। इधर लोन इनबैलेंस वाला मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। केवल टीम गठन कर छोड़ दिया गया है।एसडीएम को दो दिनों में भौतिक सत्यापन करने का आदेश दिया गया था। साथ ही अप्रैल अंत तक किसी भी तरह धान का पूरा उठाव करने को भी कहा गया है। राजपुर, सिसरिंगा, लिबरा, कापू, लिप्ती, घटगांव, मुकडेगा, कोड़ासिया, खम्हार, ससकोबा, केशला, लारीपानी और बगुडेगा में धान शॉर्टेज है।