




रायगढ़ संसदीय सीट की कहानी, आंकड़ों की जुबानी
रायगढ़: रायगढ़ संसदीय सीट पर इस बार रोचक सियासी द्वंद्व देखने को मिलेगा। यहां मुख्य रूप से भाजपा व कांग्रेस के बीीच सीधी भिड़ंत होगी। भाजाप ने राधेश्याम राठिया तो कांग्रेस ने श्रीमती मेनका देवी सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के पिछले दो दशकों के अतीत का सिंहावलोकन करें तो कांग्रेस के इतर भाजपा कहीं अधिक मजबूत नजर आती है। आपको बता दें कि वर्ष १९९९ से रायगढ़ सीट पर भाजपा की बादशाहत कायम है। कांग्रेस को वर्ष १९९९ से वर्ष २०१९ तक रायगढ़ सीट पर सदैव पराजय का मुंह देखना पड़ा है। तमाम प्रयोगों के बावजूद रायगढ़ सीट भाजपा के कब्जे में है। अजीत जोगी युग की बात करें या कांग्रेस में नंदकुमार पटेल के स्वर्णिम कार्यकाल की, आजपर्यन्त यह सीट कांग्र्रेस से कोसों दूर है। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र जातिगत समीकरणों की बात करें तो सर्वाधिक मतदाता अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। सर्वाधिक ४६ प्रतिशत मतदाता आदिवासी समाज (कंवर-गोड़) के हैं। आदिवासी वर्ग के बाद सर्वाधिक वोटर २६ प्रतिशत पिछड़ा वर्ग समाज के हैं। वहीं, अनुसूचित जाति वर्ग के १० प्रतिशत, अल्पसंख्यक समुदाय के १२ प्रतिशत और सामान्य जातियों के सिर्फ ०६ फीसदी मतदाता हैज्ञात हो कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा तकरीबन तीन प्रतिशत वोटों से कांग्रेस से आगे है। रायगढ़ संसदीय सीट में जहां भाजपा को ७ लाख ८६२८ वोट मिल तो वहीं कांग्रेस ने ६ लाख ६५,९०८ मत प्राप्त किए। बसपा को १९,४०२, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को ३०१९ व निर्दलीय उम्मीदवारों को ७५,०१५ वोट मिले। इस प्रकार रायगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस भाजपा से ४२,७२० वोटों से पीछे है। वर्ष १९९९ से वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा के हाथों कांग्रेस की भद्द ही पिटी है। वर्ष १९९९ में यहां से पहली बार विष्णु देव साय सांसद निर्वाचित हुए। वर्ष २००४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विष्णुदेव साय ने कांग्रेस उम्मीदवार रामपुकार सिंह को ७४,२४३ मतों से परास्त किया।वर्ष २००४ के चुनाव में बसपा ने २७,६१६, गोंगपा ने २१,२७१ व समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अमृत तिर्की ने १५६७७ वोट हासिल किए। वर्ष २००९ में विष्णुदेव साय ने अपनी जीत की हैट्रिक पूरी की। इस चुनाव में कांग्रेस ने हृदयराम राठिया को चुनाव मैदान में उतारा था। इस निर्वाचन में बीजेपी को ४४३९४८ वोट, कांगे्रस को ३८८१०० वोट, बसपा को ३७९७२ वोट, निर्दलीय उम्मीदवार बहादुर सिंह राठिया को २३३६१ वोट मिले। इस प्रकार हृदयराम राठिया ५५,८४८ वोटों से चुनाव हार गए। वर्ष २०१४ के चुनाव में फिर पुरानी कहानी सामने आई। इस चुनाव में विष्णुदेव साय ने कांग्रेस प्रत्याशी आरती सिंह को २ लाख १६७५० मतों से विशाल अंतर से शिकस्त दी। वर्ष २०१४ के चुनाव म भाजपा को रिकार्ड ५३.१६ प्रतिशत वोट हासिल हुए। विष्णुदेव साय को ६६२४७८ वोट हीमिलेवर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के सभी मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए। रायगढ़ सीट से विष्णु साय के स्थान पर श्रीमती गोमती साय को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा था। उनके मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार थे- विधायक लालजीत सिंह राठिया। वर्ष २०१९ के लोकसभा चुनाव में पहली बार श्रीमती गोमती साय सांसद निर्वाचित हुईं। गोमती साय ने लालजीत सिंह राठिया को ६६०२७ वोटों से पराजित किया। बसपा प्रत्याशी इन्नोसेंट कुजूर, नवल सिंह राठिया व निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश कुमार उरांव ने कांग्रेस का पूरा खेल बिगाड़ दिया। इन तीनों उम्मीदवारों ने मिलकर ४६, ३१८ वोट बटोर लिए। अब बारी है-२०२४ के लोकसभा चुनाव की, इसलिए यह देखना वाकई काफी दिलचस्प होगा कि भाजपा अपना पुराना करिश्मा दोहरा पाती है या कांग्रेस उम्मीदवार मेनका देवी सिंह कुछ नया कर पाती हैं।