रायगढ़। जिले में चुनावी सिलेंडर बांटने के लिए ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। भाजपा व कांग्रेस द्वारा 500 रूपये में गैस सिलेंडर देने के वादों के बाद कंपनियों ने मतगणना के नतीजे आने से पहले ही ई-केवाईसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए जिले में पौने चार लाख गैस कनेक्शनधारियों को एजेंसी आकर ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।जिले में घरेलू गैस कनेक्शन वर्तमान में 992 रूपए में उपलब्ध है। इसमें केन्द्र सरकार से डीबीटीएल के जरिए मात्र 68 रूपए ही सब्सिडी मिल रही है। मतलब आम उपभोक्ता को एक सिलेंडर करीब 924 रूपए पड़ रहा है लेकिन अब यही गैस सिलेंडर 500 रूपए में मिलने वाला है। दरअसल विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने 500 रूपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा की है। ऐसे में प्रदेश में सरकार किसी की भी बने लेकिन आम आदमी को गैस सिलेंडर 500 रूपए में मिलना तय है।ऐसे में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने इसके लिए अपने स्तर से प्रक्रिया भी शुरू कर दी है और इंडेन,एचपी व भारत गैस की एजेंसियों को ई-केवाईसी की प्रक्रिया शुरू कर हर गैस कनेक्शनधारी से 30 दिसंबर तक इसे पूरा करवाने कहा है। फर्जी कनेक्शन बंद करने व सब्सिडी लिकेज कम करने के लिए ई केवाईसी को जरूरी किया गया है। इसके लिए सभी गैस एजेंसियों को आदेश जारी करने के बाद अब ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने उपभोक्ता को भी मेल से इसकी सूचना देना शुरू कर दिया है।
बैंक के बाद अब एजेंसी में जरूरी
बीते कुछ महीनों से सभी बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया था। इसके नहीं होने पर खाते में लेनदेन बंद कर दिया गया था। अब यही प्रक्रिया गैस एजेंसी अपनाएंगे। पूर्व में आधार और बैंक सीडिंग की प्रक्रिया की गई थी लेकिन अब फिर से ई-केवाईसी के नाम पर उपभोक्ताओं को गैस एजेंसी पहुंचना होगा और अपना आधार,बैंक पासबुक और गैस कार्ड के साथ बायोमेट्रिक डिवाईस में इसे सत्यापित कराना होगा।
20 एजेंसियों पर पौने चार लाख उपभोक्ता
जिले में इंडेन की 17 एचपी की 6 और भारत पेट्रोलियम की कुल 6 गैस एजेंसियां हैं। इसमें सामान्य गैस कनेक्शन व उज्जवला मिलाकर करीब पौने चार लाख उपभोक्ता हैं। ई-केवाईसी की प्रक्रिया सबको करनी है। ऐसे में आने वाले समय में गैस एजेंसियों में भीड़ मचनी तय है।
बाद में आएंगी चुनावी सिलेंडर की शर्तें
आम तौर पर राजनैतिक पार्टियां मतदाताओं को रिझाने के लिए चुनाव से पहले लुभावनी घोषणाएं करती हैं लेकिन उसके बाद इसका दायरा कम करने के लिए नियम कानून व शर्तों की बाड़ लगा दी जाती है। चुनावी सिलेंडर का वादा पूरा करना भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए बेहद महंगा काम है। ऐसे में इसके लिए भी नियम कानून व शर्तें बाद में जारी कर हितग्राहियों की सं या कम करने की कोशिश की जाएगी।