




रायगढ़, 10 नवंबर। समितियों में कई सालों से सेवाएं देने के बावजूद कर्मचारियों के लिए कोई ठोस मैकेनिज्म बनाने में नाकाम सहकारिता विभाग अब मुश्किल में है। प्रबंधक तो हड़ताल में हैं और इधर राइस मिलर भी विरोध का संकेत दे रहे हैं। तीन साल का बकाया भुगतान मांग रहे राइस मिलर इस साल कस्टम मिलिंग में मार्कफेड का सहयोग करने के पक्ष में नहीं हैं। इस वर्ष 14 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ की जा रही है। लेकिन सहकारी समितियों में हालात कठिन हैं। प्रबंधक व अन्य कर्मचारी हड़ताल पर हैं। ऐसे में धान खरीदी प्रभावित होना तय है। इसके लिए सचिव ने सहकारिता विभाग को पत्र लिखकर समस्या का हल करने का आदेश दिया है। प्रबंधकों की मांग है कि मप्र की तरह ही यहां भी समिति कर्मचारी को प्रबंधकीय अनुदान 5-5 लाख रुपए दिया जाए। कर्मचारी सेवा नियम में संशोधन कर कार्यरत कर्मचारी को पदोन्नत कर भर्ती की जाए। धान उपार्जन नीति में सूखत का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि समिति में तीन महीने तक धान रखा रहता है। पूर्व की तरह प्रोत्साहन राशि, कमीशन और प्रासंगिक व्यय राशि समितियों को दी जाए। धान उठाव 72 घंटे में करने का नियम था, इसे पुन: लागू किया जाए। वर्ष 23-24 का बकाया प्रोत्साहन और कमीशन समितियों को जल्द से जल्द दिया जाए। समितियों का ताना-बाना तभी बिगड़ गया था जब पूर्व सरकार ने चुनाव न करवाकर विधायक प्रतिनिधियों को बैठाया था। तीन दिन में सभी समस्याएं सुलझाकर धान खरीदी शुरू करने की चुनौती है। पुराने धान की मिलिंग भी बाकी है इसलिए मिलों का पंजीयन भी नहीं हो सकता।
धान पुराना इसलिए हो रहा रिजेक्ट
इधर राइस मिलर्स से भी सरकार को निपटना पड़ रहा है। वर्ष 23-24 में धान तो मार्च खत्म होने के पहले ही उठा लिया गया था। तब से धान का स्टॉक मिलों में है। पुराना धान होने के कारण लॉट रिजेक्ट हो रहे हैं। अरबों के बिल लंबित होने के बावजूद रायगढ़ के राइस मिलर खुलकर कुछ कहने से कतरा रहे हैं। दूसरे जिलों में मिलर्स एसोसिएशन ने आगामी वर्ष में कस्टम मिलिंग नहीं कर पाने का ज्ञापन दे दिया है। बारदाने की राशि, यूजर चार्ज, परिवहन भाड़ा, मिलिंग चार्जेस आदि का भुगतान बाकी है। सूत्रों के मुताबिक होटल जिंदल रिजेंसी में मिलर्स की बैठक हुई थी जिसमें कस्टम मिलिंग नहीं करने का निर्णय लिया गया है।