




धर्मजयगढ़ न्यूज़, 16 जनवरी।धरमजयगढ़ वनमंडल में निर्माण कार्यों में उपयोग की गई, खनिज रॉयल्टी कटौती की जानकारी मांगी गई थी। जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक किसी ठेकेदार से कोई कटौती नहीं की गई है। जबकि हजारों टन गिट्टी, रेत इस्तेमाल की जा चुकी है। ठेकेदार ने रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी नहीं दिया।रॉयल्टी क्लीयरेंस को लेकर अभी भी कई कार्यालय विधि विरुद्ध काम कर रहे हैं। अवैध खनिजों का इस्तेमाल कर ठेकेदार काम कर रहे हैं। बाजार मूल्य काटने की जगह विभाग रॉयल्टी काट रहे हैं। यही नियम है। खनिज विभाग ने जून 2020 में अधिसूचना प्रकाशन कर नियम तय किए थे। लेकिन अब भी पुराने ढर्रे पर ही काम चल रहा है। ठेकेदार अभी भी अवैध खनिजों का इस्तेमाल कर रहे हैं और विभागों में पूरा भुगतान हो रहा है। नियमत: खनिज विभाग के अलावा किसी भी शासकीय विभाग को गौण खनिजों की रॉयल्टी वसूलने का अधिकार है ही नहीं।रायगढ़ जिले में यह गड़बड़ी सालों से चल रही जिसका लाभ ठेकेदारों और कुछ अधिकारियों को मिल रहा है। अवैध गिट्टी, मुरुम, बोल्डर और रेत का उपयोग निर्माण कार्यों में हो रहा है। खनिज विभाग से रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लाकर प्रस्तुत करने के बाद ही मटेरियल का पूरा पेमेंट ठेकेदार को किया जाना है। लेकिन कोई भी ठेकेदार पूरी मात्रा का क्लीयरेंस नहीं कराता। धरमजयगढ़ वनमंडल में निर्माण कार्यों में उपयोग की गई, खनिज रॉयल्टी कटौती की जानकारी मांगी गई थी। जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक किसी ठेकेदार से कोई कटौती नहीं की गई है। जबकि हजारों टन गिट्टी, रेत इस्तेमाल की जा चुकी है। ठेकेदार ने रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी नहीं दिया।

ये है नियम
पीडब्ल्यूडी, सेतु विभाग, आरईएस, जल संसाधन विभाग, केलो परियोजना, नगर निगम आदि के ठेकेदारों ने निर्माण में प्रयुक्त गौण खनिजों की पूरी मात्रा का रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट नहीं लिया है। 30 जून 2020 को छग के राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित की गई है जिसमें छग गौण खनिज नियम 2015 में कुछ संशोधन किए गए थे। इसके मुताबिक शासकीय और अद्र्धशासकीय विभागों में ठेकेदार के जरिए कराए गए निर्माण कार्यों में प्रयुक्त गौण खनिजों के बाजार मूल्य के बराबर की राशि ठेकेदार के देयकों से काटकर रखी जाएगी। ठेकेदार को संबंधित गौण खनिज का रॉयल्टी क्लीयरेंस प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसके लिए रॉयल्टी पर्चियां जमा करनी होती हैं। प्रमाण पत्र देने पर ही विभाग को काटी गई राशि ठेकेदारों को दी जा सकेगी। अगर ठेकेदार सर्टिफिकेट नहीं दिए, मतलब खनिज अवैध हो गया। तब खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 21 के 23-ख के अधीन कार्यवाही की जाएगी।
आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारीयो का भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाता है । भ्रमित जानकारियां दी जा रही है जो यह बताने के लिए ही काफी है की बड़े पैमाने पर यहां राजस्व हानि की गई है जिसकी लिखित शिकायत बड़े स्तर पर की जा चुकी है। अब आगे देखना होगा कि इस पर आगे क्या कार्यवाही होती है।