




छत्तीसगढ़ टुडे 24 न्यूज़ —- प्रतिकूल परिस्थितियों में अधिकारी स्वयं के संसाधनों से कार्य करते हुए भी जब किसी शिकायत या पोर्टल आवेदन के आधार पर बिना पूर्व सूचना एवं सुनवाई के निलंबन जैसी कठोर कार्यवाही का सामना कर रहे हैं, तो यह प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।पूरा मामला
हाल ही में सूरजपुर जिले के तहसीलदार श्री संजय राठौर के विरुद्ध बिना समुचित सुनवाई के की गई निलंबन कार्यवाही इसी शृंखला का एक चिंताजनक उदाहरण है।

संघ ने स्पष्ट किया है कि तहसीलदार / नायब तहसीलदार राजस्व न्यायालय में पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं, जिनके आदेशों के विरुद्ध अपील व पुनरीक्षण जैसे वैधानिक उपाय उपलब्ध हैं। ऐसे में न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम की भावना को दरकिनार कर सीधे निलंबन करना न्याय और प्रक्रिया दोनों का उल्लंघन है। राजस्व अधिकारियों पर हो रही अनुचित कार्यवाहीयो के विरोध में संघ ने विरोध दर्ज करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री व राजस्व मत्री से मिलकर मांग की है कि श्री संजय राठौर जी को तत्काल प्रभाव से बहाल किया जाए। पूर्व में निलंबित अन्य अधिकारियों की न्यायसंगत समीक्षा कर बहाली की जाए।
प्रत्येक तहसील को न्यूनतम आवश्यक संसाधन (तकनीकी स्टाफ, वाहन, ऑपरेटर) तत्काल उपलब्ध कराए जाएं।