




रायपुर न्यूज़—-छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक, शिक्षक और व्याख्याता को मिलाकर करीब एक लाख 70-75 हजार शिक्षक हैं। इनमें 13 हजार सरप्लस हैं। इन अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों में पोस्ट करने की स्कूल शिक्षा विभाग ने कोशिशें शुरू की तो सूबे में बवाल मच गया। विधायकों से लेकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं में सरकार को पत्र लिखने की होड़़ मच गई। बीजेपी और कांग्रेस के नेता लगे वीडियो जारी करने। शिक्षक संगठनों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया। सिर्फ 13 हजार पावरफुल शिक्षकों के लिए। वरना, एक लाख 60 शिक्षक बेचारे सालों से दूरस्थ इलाकों के स्कूलों में जमे हुए हैं, उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। न राजनीतिकों को उनकी परवाह है और न शिक्षक संगठन उनकी बात करते। एक लाख से अधिक शिक्षक 10-10 साल से सुदूर गांवों के स्कूलों में तैनात है। तमाम पारिवारिक परिस्थितियों के बावजूद उनका ट्रांसफर इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि, उनके पास न पैसा है और न कोई एप्रोच।
13000 पावरफुल टीचर
सवाल उठता है कुल शिक्षक क्षमता का सिर्फ 10 से 12 परसेंट अतिशेष शिक्षक हैं। फिर इनके लिए सियासी भूचाल क्यों आ गया और शिक्षक हड़काल का अल्टीमेटम क्यों दे डाले? इसका जवाब यह है कि 13 हजार सरप्लस शिक्षक बेहद पावरफुल हैं। सो, नेता से लेकर शिक्षक संगठनों के नेता उनके लिए मैदान में कूद पड़े। इनमें कोई किसी बीजेपी नेता का करीबी या रिश्तेदार है तो कई कांग्रेस नेताओं के। अधिकारियों के अपने लोग भी इन सरप्लस शिक्षकों में शामिल हैं। ऐसे में, सभी ने चुटिया बांध लिया कि युक्तियुक्तकरण नहीं होने देना है।