




- रायगढ़ जिले में 12 दुकानें कम हुई तो भी 15 प्रश बढ़ाया लक्ष्य, सरकार ने 11 हजार करोड़ का रखा है लक्ष्य
रायगढ़, 8 अक्टूबर। एक तरफ सरकार कई जिलों में नशामुक्ति अभियान चला रही है, लोगों को नशे से दूर रहने की सलाह दी जा रही है। वहीं शराब से राजस्व को दोगुना करने का भी प्रयास कर रही है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में अचानक से टारगेट बढ़ा दिया गया है। रायगढ़ जिले में इस साल 210 करोड़ का टारगेट दिया गया है जबकि दुकानों की संख्या कम हो चुकी है।
शराब से होने वाली आय से राज्य की वित्तीय स्थिति सुधरती है। योजनाओं में व्यय के लिए राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब से ही आता है। हालांकि सरकार कभी भी खुलर शराब को बढ़ावा नहीं देती लेकिन पीछे से ऐसी नीतियां बना रही है, जिससे शराब ज्यादा बेची जा सके। इस बार तो हद हो गई है। राज्य में शराब से राजस्व प्राप्ति का टारगेट 8 हजार करोड़ से बढ़ाकर 11 हजार करोड़ कर दिया गया है। जिलों में भी इसका असर पड़ा है। रायगढ़ जिले में पहले सारंगढ़-बरमकेला मिलाकर 48 दुकानें थी। 23-24 में जिले का टारगेट 185 करोड़ था, जिसमें करीब 183 करोड़ प्राप्त कर लिया गया।इस बार 12 दुकानें सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में चली गई हैं। रायगढ़ में 36 दुकानों से 210 करोड़ का राजस्व हासिल करने का लक्ष्य दिया गया है। इसके लिए कई तिकड़म भी लगाई गई है। सस्ते ब्रांड वाले अंग्रेजी शराब की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। यह करीब 130 रुपए क्वार्टर की दर से बिकती है। इसके ऊपर बेची जाने वाली ब्रांडेड शराब की कीमतों में करीब 15 प्रश की बढ़ोतरी की गई है। राजस्व बढ़ाने के लिए कई नए ब्रांड से भी एग्रीमेंट किया गया है। पुराने लोकप्रिय ब्रांड की दुकानों में वापसी कराई गई है।
ऐसे हासिल करेंगे लक्ष्य
सरकार ने चुपके से एक सितंबर से नई पॉलिसी लागू कर दी है। एकाएक लोकप्रिय ब्रांड की मीडियम और हायर रेंज में कीमतें बढऩे से सुराप्रेमी सकते में हैं। बढ़ा हुआ राजस्व हासिल करने के लिए शराब का ज्यादा बिकना जरूरी है। उसके साथ-साथ कीमतें भी बढ़ाने के पीछे लॉजिक यही है कि आसानी से लक्ष्य हासिल हो जाएगा। रायगढ़ जिले में 12 दुकानें कम होने के बावजूद 210 करोड़ का राजस्व हासिल करना पड़ेगा, जो चुनौतीपूर्ण है।