




रायगढ़, 13 अक्टूबर। बायोडीजल के नाम पर बेस ऑयल का कारोबार करने वालों पर सरकार ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। शासन ने कलेक्टर को पत्र लिखकर डीलरों की जांच करने का आदेश दिया है। कलेक्टर ने एडीएम को ज्वाइंट टीम बनाकर कार्रवाई करने को कहा है। टीम में जीएसटी, खाद्य विभाग और राजस्व विभाग को रखा जाएगा।सरकार ने बायोडीजल का कारोबार करने वालों को लाइसेंस लेना अनिवार्य किया है। केवल बायोडीजल का ही कारोबार मान्य है।
रायगढ़ समेत दूसरे जिलों में जो बिक रहा है, वह बायोडीजल है ही नहीं। देश में इतनी भारी मात्रा में बायोडीजल का उत्पादन ही नहीं होता। रायगढ़ में सात एजेंसियों को कारोबार करने की अनुमति दी गई है। पिछले पांच-सात सालों में छत्तीसगढ़ में अचानक से बायोडीजल की मांग बढ़ी। खासकर रायगढ़, कोरबा, रायपुर, बिलासपुर, सारंगढ़-बिलाईगढ़ जैसे जिलों में हजारों लीटर बिक्री हो रही है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और ओडिशा समेत कुछ समुद्र तटीय राज्यों से कथित बायोडीजल मंगवाया जाता है। यह टैंकरों के जरिए यहां तक पहुंचता है।रायगढ़ जिले में पंचोली ब्रदर्स, एसएमपी एनर्जी प्रालि, यूको बायो एनर्जी प्रालि, डोंगा बायोफ्यूल्स, ग्रीन पावर, श्री हर्जिका इंटरप्राइजेस और पीवीए इंडस्ट्रीज को अनुमति दी गई है। इनमें से पांच ने तो 28 जिलों में कारोबार की अनुमति ली है, लेकिन बायोडीजल के नाम पर बेस ऑयल और इंडस्ट्रियल ऑयल ही बेचा जा रहा है। यह बायोडीजल है ही नहीं। प्रदेश में छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है जहां से पंजीयन अनिवार्य है। रायगढ़ जिले में इन सातों एजेंसियों से न तो कभी सैम्पल लिए गए और न ही जांच हुई। अब सरकार ने इस ओर ध्यान दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक शासन ने कलेक्टर को इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया है। कलेक्टर ने संयुक्त टीम बनाकर कार्रवाई करने को कहा है। जिसके बाद स्टेट जीएसटी, खाद्य विभाग और राजस्व विभाग की टीम बनाई जा रही है। यह टीम सभी कारोबारियों से हिसाब लेगी।
कहां से खरीदते हैं बायोडीजल
देश में करीब 70 उद्योग हैं जो बायोडीजल का उत्पादन करते हैं। भारत में जेट्रोफा से बायोडीजल बनाया जाता है। इसके अलावा वनस्पति तेल, पशु चर्बी, अपशिष्ट खाना पकाने के तेल को ट्रांसस्टेरिफिकेशन करके बायोडीजल बनाया जाता है। रायगढ़ में जहां-जहां भी कथित बायोडीजल बिक रहा है, उनका रंग और गंध अलग-अलग है। ट्रकों में डीजल के बजाय इसका उपयोग किया जा रहा है। डीजल की तुलना में इसकी कीमत करीब 20-30 रुपए कम है। यहां जो बायोडीजल बेचा जा रहा है, वह इंडस्ट्रियल ऑयल या बेस ऑयल है। इसका इस्तेमाल लुब्रीकेंट बनाने में किया जाता है। इस कारोबार से बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी भी हो रही है। कारोबारियों को यह बताना पड़ेगा कि वे कथित बायोडीजल कहां से खरीद रहे हैं।