





धरमजयगढ़। शासन-प्रशासन की ओर से ग्रामीण विकास कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था की गई थी। उद्देश्य यह था कि पंचायतों में मनरेगा से लेकर प्रधानमंत्री आवास तक के कार्यों का सत्यापन हो, ग्रामीणों की भागीदारी बढ़े और ग्राम सभा के माध्यम से जनजवाबदेही तय हो। किंतु धरमजयगढ़ विकासखंड की पंचायतों में यह संकल्पना अब कागज़ी खानापूर्ति तक सीमट गई है।
इसी क्रम में ग्राम पंचायत सुपकालो इसका ताज़ा उदाहरण है। यहां 12 सितम्बर 2025 को ग्राम सभा आयोजित होनी थी, किंतु ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें सभा की सूचना तक नहीं दी गई। सुपकालो के आश्रित गांव बगबुड़ा और फिटिंगपारा के किसान-मजदूरों का साफ कहना है कि उन्हें न तो अंकेक्षण की खबर थी और न ही इसमें भागीदारी का अवसर। इससे साफ पता चलता है कि गांववासियों के जानकारी दिए बिना ग्राम सभा आयोजन को निपटाने की पुरी योजना बना ली गई थी।
वहीं ब्लॉक सामाजिक अंकेक्षण प्रदाता मुन्ना यादव अपने दल-बल सहित सुपकालो पंचायत पहुँचे तो सही, लेकिन उनके जवाब सुनकर लगा जैसे वे कोई बहाना प्रतियोगिता जीतने आए हों। जब पूछा गया कि प्रधानमंत्री आवास का अंकेक्षण क्यों नहीं हुआ, तो साहब का फरमान आया—“स्टाफ नहीं है!” हकीकत यह कि उनके पास तीन-तीन ऑडिटर मौजूद थे। यानी जनता से छुपाना भी और शासन को बहाना सुनाना भी—दोनों कला में माहिर! जानकारी अनुसार बता दें, ब्लॉक आडिटर मुन्ना यादव ऐसे कई ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायक सचिव, पंचायत सचिव के मिलकर सोशल आडिट का कार्य महज कागजों में करके ग्राम सभा आयोजन कर रफा-दफा कर चुके हैं। जहां पर ग्राम सभा में लेखा व करारोपण अधिकारी तक अनुपस्थित थे। जिसका ग्रामवासियों को पता ही नहीं है। जिससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंचायतों में सामाजिक अंकेक्षण कार्य किस तरह की जा रही है।
गौरतलब है कि शासन द्वारा स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं कि मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास—दोनों योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण अनिवार्य है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री आवास निर्माण कार्यों को जांच से बाहर रख दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में रोजगार सहायक सचिव इंद्रजीत राठिया जो कि ग्राम पंचायत जगालमौहा का प्रभार भी दिया गया है,और पंचायत सचिव की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
वहीं संबंध में हमने जिला स्तर पर जिम्मेदार अधिकारी जितेंद्र टंडन से फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव करना उचित नहीं समझा। नतीजा साफ है—धरमजयगढ़ विकासखंड में सामाजिक अंकेक्षण का तंत्र केवल औपचारिकता निभाने में बदल चुका है। ग्राम सभाएं सूचना विहीन हैं, जनता की भागीदारी नदारद है, और नियमों की धज्जियां उड़ाकर विकास कार्यों को “पूर्ण” बताकर शासन को गुमराह किया जा रहा है। बरहाल, यह स्थिति उस व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाती है, जिसका मूल उद्देश्य ही पारदर्शिता और जनसरोकार था। वहीं ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार आगे पंचायत के रोजगार सहायक सचिव इंद्रजीत राठिया का भ्रष्ट कारनामा का बडा़ उजागर हो सकता है।







