रायगढ़, 18 नवंबर। भू-अर्जन में हो रहे घोटालों को सरकार बहुत देर से जागी। एसडीएम और तहसीलदार कार्यालयों के संरक्षण में रायगढ़ जिले में घोटालों की झड़ी लग चुकी है। अकेले बजरमुड़ा कांड से हुई गड़बड़ी अब संभल नहीं रही है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने ऐसे मामले सामने आने के बाद सभी कलेक्टरों को फरमान जारी किया था। इसके बाद कलेक्टर रायगढ़ ने सभी एसडीएम व तहसीलदारों को आदेश जारी किया है। जैसे ही किसी क्षेत्र में कोई प्रोजेक्ट आने की जानकारी होती है, सबसे पहले राजस्व अधिकारियों के कान खड़े होते हैं। हर तरह से संभावनाएं तलाशी जाती हैं। इस वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ जाती है। गलत तरीके से अवार्ड पारित किया जाता है जिसमें अपात्रों के नाम भी होते हैं। पिछले कुछ सालों से रायगढ़ जिला भूअर्जन घोटालों का केंद्र रहा है। किसी दूसरे जिले में इतने बड़े पैमाने पर घपले नहीं हुए जितने यहां हुए।
रेल लाइन, एनएच, कोल माइंस और प्लांट के लिए हुए भूअर्जन में यही कहानी रही है। बजरमुड़ा कांड ने तो सारे घोटालों का रिकॉर्ड ही तोड़ दिया है। राजस्व विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी जानबूझकर इस घोटाले में शामिल हुए और मलाई खाई। तत्कालीन कलेक्टरों ने भी जानकारी होने के बावजूद छग शासन की कंपनी सीएसपीजीसीएल को नुकसान होने दिया। ऐसे ही कई और घपलों की वजह से अब सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग अविनाश चंपावत ने कलेक्टरों को आदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि अर्जन के अधीन भूमि के बटांकन, छोटे टुकड़ों में अंतरण एवं प्रयोजन में परिवर्तन के कारण भूमि अधिग्रहण की लागत में वृद्धि हुई है। इस प्रक्रिया में मूल भूमिस्वामी को समुचित लाभ होने के बजाय खरीद-बिक्री में संलिप्त बिचौलियों और भूमाफियाओं द्वारा लाभ अर्जित किया गया है।इसमें कहा गया था कि भू-अर्जन की प्रक्रिया या निकाय के प्रस्ताव पर जारी अधिसूचना के तहत अधीन भूमि का व्यपवर्तन न किया जाए। विधि के अधीन भूमि के प्रस्ताव प्राप्त होने या अधिसूचना जारी होने के बाद उक्त भूमि का खाता विभाजन बिना कलेक्टर की लिखित अनुज्ञा के न किया जाए। इसके बाद कलेक्टर रायगढ़ ने भी सभी एसडीएम और तहसीलदारों को आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अपेक्षक निकाय से प्राप्त प्रस्ताव या अधिसूचना के आशय पत्र के बाद अधीन भूमि का डायवर्सन न किया जाए। खाता विभाजन भी बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं कर सकते। उस प्रभावित भूमि की बिक्री भी कलेक्टर की अनुमति के बिना नहीं कर सकते। निकाय से प्रस्ताव मिलने या अधिसूचना जारी होने के बाद उस जमीन के खसरा के कॉलम 12 में इसकी प्रविष्टि की जाए
अधिसूचना की जानकारी के बावजूद बिक्री और नामांतरण
बजरमुड़ा घोटाले और महाजेंको घोटाले में एक जैसा ही तरीका अपनाया गया है। कोल माइंस आवंटन और कलेक्टर के प्रतिबंधात्मक आदेश के बावजूद घरघोड़ा एसडीएम कार्यालय और तमनार तहसीलदार कार्यालय से कई नियम विरुद्ध काम किए गए। जमीनें बिकवाई गईं, रजिस्ट्री के बाद नामांतरण किए गए, डायवर्सन तो अभी भी हो रहे हैं। जब तक इसके दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कोई भी बदलाव नहीं होगा। तमनार के बजरमुड़ा, रोड़ोपाली, करवाही, मिलूपारा, पाता, मुड़ागांव, सराईटोला समेत कई गांवों में बाहरी लोगों ने टुकड़ों में जमीन खरीदी है जिसके डायवर्सन भी हो चुके हैं।