




- बजरमुड़ा में कई भूमिस्वामियों ने जमीन बंधक रखकर बैंक से लिया था ऋण
रायगढ़, 6 अक्टूबर। बजरमुड़ा में एक के बाद एक नए खुलासे होते जा रहे हैं। अब यहां बैंक ऋण घोटाला भी सामने आ रहा है। जिन जमीनों को बंधक रखकर लोन लिए गए थे, वह अधिग्रहण में चली गई। लेकिन बैंक ऋण अब भी बाकी है। किसी भी जमीन को बैंक में बंधक रखकर लोन लिए जाते हैं तो उसके बाद जमीन का अंतरण करते समय लोन का निर्णय भी लिया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। बजरमुड़ा में ऐसी जमीनों का मुआवजा भी ले लिया गया, जो बैंक में बंधक हैं। अधिग्रहण के दौरान बैंक को भी सूचना दी जानी थी। मुआवजा हासिल करने के पहले बैंक लोन को चुकाया जाना था। इसके बिना ही पूरा मुआवजा उठा लिया गया। अब बैंक ऋण एनपीए हो गए हैं।बजरमुड़ा में सीएसपीडीसीएल से 55 करोड़ का मुआवजा पाने वाले अश्विनी कुमार पिता लक्ष्मीप्रसाद की भूमि खनं 82/2 रकबा 1.514 हे. है। भुइयां रिकॉर्ड में यह असिंचित कृषि भूमि के रूप में दर्ज है। अश्विनी की यह भूमि 2015 से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में बंधक है। बजरमुड़ा के मुआवजा पत्रक में इस भूमि पर केवल पेड़ों का मुआवजा डेढ़ करोड़ ले लिया गया जबकि मौके पर कुछ भी नहीं मिला। यह जमीन एसबीआई में बंधक थी। जब मुआवजा लिया गया तो बैंक का लोन भी चुकाया जाना था। लेकिन अब भी ऋण बकाया ही है।
ऐसे सैकड़ों मामले
भूअर्जन के दौरान अगर कोई बंधक भूमि भी अधिग्रहित की जाती है तो बैंक को इसकी सूचना दी जानी चाहिए। भूमिस्वामी को पहले लोन चुकाना चाहिए, तभी मुआवजे का भुगतान होगा। ऐसा नहीं किया जा रहा है। बैंक की जानकारी के बिना ही मुआवजा लिया गया। अधिग्रहित भूमि से बैंक ऋण वसूली नहीं कर सकता। ऐसे सैकड़ों मामले हैं।