




- बजरमुड़ा में चुने हुए 108 हेक्टेयर भू-भाग पर पुनर्गणना में सामने आया आंशिक सच, बहुत जल्दबाजी में की गई पुनर्गणना पर भी उठे सवाल
रायगढ़, जून। बजरमुड़ा घोटाले में इतनी परतें हैं कि रायगढ़ पुलिस खुद चकरा जाएगी। जांच में बैंक एकाउंट ट्रांजेक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग, एसडीएम के संरक्षण में कई कर्मचारियों की भूमिका, गलत मूल्यांकन, जैसे कई ऐसे तथ्य सामने आते जा रहे हैं, जहां और भी बड़े खुलासे होंगे। सबसे ज्यादा 55 करोड़ मुआवजा पाने वाले अश्विनी वगैरह के 9 खसरों की पुनर्गणना की गई तो पता चला कि उनको केवल आठ करोड़ मिलने थे। लेकिन घपले की वजह से 18 करोड़ का भुगतान किया गया। बजरमुड़ा मुआवजा घोटाला प्रदेश का सबसे बड़ा सुनियोजित, संगठित और आर्थिक अपराध है। सरकारी कंपनी सीएसपीजीसीएल को आवंटित कोल ब्लॉक गारे पेलमा सेक्टर-3 के गांव बजरमुड़ा में मुआवजा गणना में ही खेल किया गया।जमीन को छोटा-बड़ा दिखाने के लिए टुकड़ों में खरीदी बिक्री नहीं हो पाई तो तरीका ही बदल दिया गया। जमीनों पर पेड़ों और परिसंपत्तियों के आकलन में जमकर मनमानी की गई। असिंचित भूमि को सिंचित बताकर मुआवजा दिया गया।बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 415.69 करोड़ हो गया। मतलब प्रति हेक्टेयर 2.44 करोड़ रुपए दिए गए जो रायगढ़ में रिकॉर्ड है। मुआवजा पत्रक को देखकर सीएसपीजीसीएल ने आपत्ति की लेकिन बाद में वह भी घोटाले का हिस्सा बन गया। अब जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कलेक्टर ने एसडीएम को सात जिम्मेदारों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।इसके बाद एसडीएम ने तहसीलदार को अपराध दर्ज कराने को कहा है। इस कार्रवाई में दस्तावेजी प्रक्रिया में जानबूझकर विलंब किया गया, ताकि सीएसपीजीसीएल को 108 हे. पर भूप्रवेश की अनुमति दी जा सके।एसडीएम घरघोड़ा रमेश मोर ने तहसीलदार विकास जिंदल को आदेश देकर इतनी भूमि की पुनर्गणना करवा ली। कुल 57 खातेदारों के 108 हे. भूमि का मुआवजा पहले करीब 300 करोड़ दिया गया था, जो पुनर्गणना में 80 करोड़ पर अटक गया। इसमें सबसे ज्यादा 55 करोड़ रुपए मुआवजा पाने वाले परिवार की कहानी बहुत दिलचस्प है। अश्विनी पिता लक्ष्मीप्रसाद, भागकुंवर, हर्षित वगैरह के 19 खसरों की करीब 15 हे. भूमि पर मुआवजे की गणना की गई थी। तकरीबन 55 करोड़ रुपए इनको मुआवजा मिला जिसमें भूमि, मकान, शेड, दुकान, बोरवेल, कुआं, पेड़ आदि की राशि शामिल है। अब इसमें से 108 हे. में 9 खसरे ही आ सके। बाकी के दस खसरे शेष 62 हे. भूमि में आते हैं।
16 हजार आम पेड़ों से कमाए 20 करोड़
अश्विनी पिता लक्ष्मीप्रसाद वगैरह को मिले 55 करोड़ के मुआवजे में पूरी गड़बड़ी है। 19 खसरों के करीब 15 हे. भूमि पर 55 करोड़ रुपए दिए गए। इसको 16168 आम वृक्षों और 677 आम पौधों के एवज में 20.01 करोड़ रुपए दिए गए। जांच टीम को केवल 200 आम के पौधे मौके पर मिले। अश्विनी की खसरा नंबर 195 रकबा 0.729 हे. में दो मंजिला पक्का मकान और टीन शेड पाया गया जबकि पत्रक में दो मंजिला मकान, तीन मंजिला मकान, फार्म हाउस, पक्का टीन शेड दिखाकर 9.78 करोड़ रुपए लिए गए। कुआं भी नहीं मिला और उसके भी 1.75 लाख रुपए मिल गए। यही नहीं इस जमीन को डायवर्टेड दिखाकर 74 लाख रुपए का भुगतान किया गया।
जांच टीम ने बताए 200 पौधे, पुनर्गणना में 130 पेड़
एसडीएम रमेश मोर ने तमनार तहसीलदार से पुनर्गणना करवाई। आईएएस रमेश शर्मा की जांच रिपोर्ट में जहां 200 आम के पौधे बताए गए थे, वहां पुनर्गणना में करीब 130 आम के पेड़ बताए गए। खनं 60/1, 89/2, 90/2, 125 और 199 कुल रकबा 4.852 में राज्य स्तरीय जांच टीम ने आम के केवल 200 पौधे ही पाए। लेकिन पुनर्गणना में 43 आम के पौधे और 130 आम के पेड़ गिने गए। आम पौधे की मुआवजा दर 100 रुपए और प्रति पेड़ 6000 रुपए होती है। पुनर्गणना में पेड़ों की गिनती कर मुआवजा जोड़ा गया है। जबकि जांच टीम को एक भी आम के पेड़ नहीं मिले थे।