




रायपुर। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम 2012 में संशोधन किया गया है. राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही नया नियम लागू कर दिया गया है, जिसमें संविदा नियुक्ति के लिए पात्रता नहीं बल्कि अपात्रता की शर्ते तय की गई है. पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार ने सितंबर 2023 में नियम में संशोधन कर इन शर्तों को हटा दिया था. छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम 2012 में किए गए संशोधन में ऐसे लोगों को नियुक्ति का पात्र नहीं माना गया है, जिनके खिलाफ किसी तरह की विभागीय जांच चल रही हो या मुकदमा चल रहा हो या फिर गोपनीय चरित्रावली उच्च स्तर की न हो या कोई अभ्यावेदन लंबित हो तो वह संविदा नियुक्ति के पात्र नहीं होगा.पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार ने सितंबर 2023 में नियम में संशोधन कर इन शर्तों को हटा दिया था. तब यह बात चर्चा में आई थी कि सेवानिवृत्त आईएएस आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की नियुक्ति के लिए इस तरह का संशोधन किया गया है. दोनों ही अधिकारी के विरुद्ध जांच लंबित थी. किसी तरह की क़ानूनी चुनौती से बचने के लिए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा(संविदा नियुक्ति) में नियमों में संशोधन किया गया था. यह बदलाव इसलिए किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल योग्य और ईमानदार लोग ही सरकारी सेवाओं में शामिल हों।मानना है कि यह बदलाव भ्रष्टाचार को कम करने और प्रशासन में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा। इस बदलाव का प्रभाव उन लोगों पर पड़ेगा जो सरकारी नौकरी में संविदा पर काम करना चाहते हैं। अब, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके खिलाफ कोई आरोप या मुकदमा नहीं चल रहा है। यदि उनके खिलाफ कोई आरोप या मुकदमा चल रहा है, तो उन्हें पहले उसका निपटान करना होगा, तभी वे संविदा नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह बदलाव सरकारी नौकरी में भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने में मदद करेगा।