
धरमजयगढ़। विकासखंड धरमजयगढ़ का उर्षुलाइन इंग्लिश मीडियम स्कूल इन दिनों शिक्षा से ज़्यादा विवादों के लिए सुर्खियों में है। वहीं अभिभावकों का धैर्य टूट चुका है, और वजह है—स्कूल में शिक्षकों का बेढंग, कठोर और गैर-जिम्मेदाराना रवैया, जिसने शिक्षा के इस मंदिर को अव्यवस्था के अड्डे में बदलकर रख दिया है।
बता दें, बीते दिनों छात्रों के बीच हुई भिड़ंत में एक बच्चे के सिर पर चोट लगी, लेकिन इससे ज़्यादा चौंकाने वाली बात थी—अभिभावकों के सवाल पूछने पर एक शिक्षिका का “बच्चे को स्कूल से निकाल ले जाइए” जैसा बेहिसाब बयान। यह सिर्फ संवेदनहीनता नहीं, बल्कि शिक्षक धर्म का खुला अपमान है।

आपको बता दें,स्कूल में आए दिन होने वाली मारपीट, झगड़े और शून्य अनुशासन पर प्रबंधन की चुप्पी यह साबित करती है कि यहाँ शिक्षा नहीं, बल्कि मनमानी का राज चलता है। और शुल्क वसूली में तेज़, लेकिन बच्चों की सुरक्षा और अनुशासन में सुस्त—ऐसा चरित्र किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए कलंक से कम नहीं।
वहीं अभिभावकों का आरोप है, कि यह पहली घटना नहीं है। महीनों से अनुशासनहीनता का सिलसिला जारी है, मगर प्रबंधन का रवैया इतना ढीला है,मानो उन्हें बच्चों की सुरक्षा से कोई सरोकार ही न हो। न चेतावनी, न कार्रवाई—यही लापरवाह व्यवस्था छात्रों के मनोबल को बिगाड़ रही है।
और एक तरफ जिले के कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी जहाँ शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में जुटे हैं, वहीं उर्षुलाइन स्कूल का यह रवैया पूरे जिला शिक्षा तंत्र पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है। अगर प्रबंधन ने अब भी आँख नहीं खोली तो यह अराजकता किसी बड़े हादसे का रूप ले सकती है।
बहरहाल स्पष्ट है,उर्षुलाइन स्कूल में बदलाव की तत्काल ज़रूरत है। शिक्षकों की मनमानी और प्रबंधन की ढीली पकड़ अगर नहीं रुकी, तो यह विद्यालय बच्चों का भविष्य नहीं, उनकी मुश्किलें गढ़ने वाला स्थान साबित होगा।
