धर्मजयगढ़ न्यूज़— नीचे पारा जय स्तंभ स्थित दुर्गा पंडाल के पुजारी पंडित वासुदेव उपाध्याय ने बताया कि 28 वर्षों से निरंतर यहां वह माता रानी की सेवा कर रहे हैं वहीं उन्होंने बताया कि माता के नौ रूपों का पूजन पाठ किया जाता है जिसमें प्रथम मां शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघंटा ,चतुर्थ कुष्मांडा, पंचमी स्कंध माता, छठवीं कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवी महागौरी, नवमी सिद्धिदात्री, वही विजयदशमी के दिन मां अपराजिता का जिन्होंने राक्षसों के साथ युद्ध करते हुए राक्षसों का संघार किया था जिस वजह से उनका नाम अपराजिता पड़ा और उसी दिन मां सरस्वती का भी पूजन किया जाता है वही इस समिति के विषय में उन्होंने बताया सन 1997 से स्वर्गीय मोहनलाल अग्रवाल जो यहां के प्रथम संस्थापक व अध्यक्ष हुए तब से यहां माता रानी की स्थापना व पूजन कार्य किया जा रहा है उनके साथ उनके सभी साथी स्वर्गीय श्याम लाल अग्रवाल स्वर्गीय अवध बिहारी अग्रवाल श्री गजानंद अग्रवाल श्री करमचंद अग्रवाल श्री किशन अग्रवाल श्री गोपाल अग्रवाल श्री गोविंद अग्रवाल श्री शिव हरी शर्मा श्री रोशन लाल अग्रवाल श्री पवन अग्रवाल अशोक गुप्ता सहित सभी वर्तमान कार्यकारिणी के सदस्यों व पदाधिकारी ने इस परिपाटी को आज बखूबी निभा रहे हैं यह हमारे सनातन संस्कृति की एक मजबूत कड़ी है जिसे हमें युगो युगांतर तक बनाए रखना है वही यहां के इस पूजन कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि 9 दिनों तक पूरे अखंड ज्योति यहां पर प्रज्वलित की जाती है वहीं नवग्रह 64 योगिनी मातृका छत्रपाल सभी का आह्वान कर स्थापना पर्यंत पूजन पाठ किया जाता है पंडित वासुदेव उपाध्याय व पंडित विपेन्द्र तिवारी द्वारा प्रतिदिन चंडी चंडीपाठ पूजा स्थल पर की जाती है