




- फर्जी कामों में एक करोड़ का सामग्री भुगतान, तीन साल में केवल गेबियन में ही वारे-न्यारे, रोजगार सहायक, टीए, पीओ, आरईएस एसडीओ समेत जिला स्तर के कई कर्मचारी शामिल
रायगढ़, 13 नवंबर। मनरेगा को जिस उद्देश्य के लिए शुरू किया गया था, वह रास्ता भटक चुका है। अब इसमें भ्रष्टाचार के अलावा कुछ भी नहीं बचा। विभाग के अंदर के ही लोगों ने इसे बर्बाद किया है। बरमकेला तहसील में एक से एक कारनामे हुए हैं। केवल घोघरा पंचायत में गेबियन और डाइक निर्माण में एक करोड़ से अधिक सामग्री भुगतान कर दिया गया जबकि एक-दो निर्माण ही हुए। इसमें भी जंगल से ही पत्थर उठाकर लगा दिए गए। बरमकेला जनपद का एक हिस्सा ऐसा है जहां कोई झांकने तक नहीं जाता। वहां काम स्वीकृत कराने से लेकर पूरा करने तक पूरा खेल रोजगार सहायक और तकनीकी सहायक का होता है।डोंगरीपाली के आसपास जंगल के अंदर पंचायतों में मनरेगा के कामों का बहुत बुरा हाल है। दस काम स्वीकृत होते हैं तो एक-दो ही होते हैं। बाकी सबको पूर्ण बताकर राशि की बंदरबांट कर दी जाती है। वर्ष 2020-21 से 2023-24 के बीच तो यहां अंधाधुंध भ्रष्टाचार किया गया है। दस्तावेजों को देखने पर पता चलता है कि इन चार सालों में गेबियन, डाइक, पर्कुलेशन टैंक और चेक डैम बनाने में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। सभी निर्माण हुए ही नहीं हैं और पूरा दिखाकर राशि निकाल ली गई है। केवल फाइल में ही काम पूर्ण है। सभी कामों का एक रेट है, जिसके हिसाब से रेट तय करके कार्य को करना है या नहीं तय किया जाता है।मिली जानकारी के मुताबिक 2021 से 2023 के बीच घोघरा पंचायत में केवल एक करोड़ का मटेरियल बिल पास किया गया है। गेबियन और डाइक के काम ज्यादा हैं। मौके पर जाकर देखा जाएगा तो आधे से ज्यादा काम मिलेंगे ही नहीं। एक ही नाले को जीरानाला, दो मुंहा नाला और जनेननाली नाला कहा जाता है। घोघरा पंचायत में नाले की चौड़ाई भी महज 5-7 मीटर ही है। तीन सालों में मटेरियल पेमेंट का हिससाब निकाला गया तो करीब 1.10 करोड़ मिला। मौके पर केवल दो गेबियन देखने को मिले। इसमें जो पत्थर लगाए गए हैं, वे जंगल से ही उठाकर डाल दिए गए हैं। कोई भी मटेरियल बाहर से नहीं लाया गया। किसी गेबियन में ढाई लाख का मटेरियल तो किसी में डेढ़ लाख का मटेरियल लगा है। घोघरा पंचायत का काम टीए योगेश देवांगन की देखरेख हुआ है। बरमकेला में 20-21 और 21-22 में पीओ आशीष भारती थे और उसके बाद से कमलेश मेहरा पदस्थ हैं।कैसे होती है प्रक्रिया
सबसे पहले सरपंच और सचिव मिलकर रोजगार सहायक के साथ काम का प्रस्ताव बनाते हैं। ग्रामसभा में पास करवाकर रोजगार सहायक और तकनीकी सहायक फाइल जिला शाखा मनरेगा पहुंचाते हैं। वहां एपीओ और सब इंजीनियर काम को स्वीकृत करके कलेक्टर को अनुमोदन के लिए बढ़ाते हैं। इसके पहले उस काम का एक इस्टीमेट जिला में तैयार किया जाता है जिसका तकनीकी स्वीकृति तकनीकी सहायक करता है। काम पूरा होते तक जिला शाखा से निरीक्षण करना होता है। काम पूरा होने के बाद आरईएस एसडीओ को देखकर वेरीफिकेशन करना होता है।
क्या कहते हैं कमलेश
मेरे आने से पहले के काम होंगे। अगर गड़बड़ी है तो खुद जाकर देखूंगा।
– कमलेश मेहरा, पीओ, बरमकेला