




रायगढ़। रायगढ़ जिले के दो वन मंडल रायगढ़ और धरमजयगढ़ में कुल मिलाकर 139 हाथी विचरण कर रहे हैं। शाम ढलने के बाद जंगल से निकलकर हाथी गांव तक पहुंच जाते हैं। इससे ग्रामीणों के बीच भय का माहौल है। हाथी हर रात गांव तक पहुंच रहे हैं और धान फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बीती रात भी हाथियों ने धरमजयगढ़ वन मंडल में करीब 19 जगह किसानों फसल को नुकसान किया है। इसमें सबसे ज्यादा फसल नुकसान छाल रेंज के बनहर बीट अंतर्गत आने वाले चुहकीमार गांव में किया।13 किसानों की फसल को हाथी ने चौपट कर दिया। धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल और धरमजयगढ़ रेंज सबसे अधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र है, लेकिन वर्तमान में लैलूंगा के मुकेडगा में 22 और छाल रेंज के बनहर में 16 हाथी है। इसके अलावा छाल में 12 और कापू में 11 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। इसी तरह रायगढ़ के तमनार रेंज के छिरवानी बीट में 21 हाथी मौजूद हैं। जिले के दोनों वन मंडल की बात करें तो शावकों की संख्या 34 है। धरमजयगढ़ वन मंडल में 30 नर, 51 मादा और 23 शावक हैं। इसके अलावा रायगढ़ वन मंडल में नर 7, मादा 17, शावक 11 हाथी विचरण कर रहे हैं।बुधवार की रात भी धरमजयढ़ वन मंडल में हाथियों ने जमकर उत्पात मचाया था। कुड़ेकेला में हाथियों ने 20 फेसिंग पोल को तोडा था। इसी रात आमगांव में बोर और फसल, बायसी में 02 किसानों की मक्का, केला और कटहल की फसल को नुकसान पहुंचाया। पोटिया में आरडीएफ की झोपड़ी और सूचना बोर्ड को तोड़ दिया था। बताया जा रहा है कि धरमजयगढ़ और छाल रेंज के कई हाथी प्रभावित गांव है। ऐसे में जब रात में किसी गांव में हाथियों का दल पहुंच जाता है, तो ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हो जाते हैं। रात भर हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने के लिए कई तरह की आवाज निकाली जाती है।हर दल के पीछे दो ट्रैकर
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि हर दल के पीछे दो ट्रैकर होते हैं, जो लगातार हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखते हैं। इसके अलावा हाथी मित्र दल भी हाथियों पर निगरानी कर रहे हैं। ताकि गांव की ओर आने पर उन्हें दूर किया जा सके।
ड्रोन से रख रहे नजर
बताया जा रहा है कि हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखना जरूरी है। इसलिए जहां जरूरत होता है वहां हाथियों के दल पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जाती है। रात में थर्मल ड्रोन और दिन में सामान्य ड्रोन का सहारा लिया जाता है।गांव में कराई जा रही मुनादी
एसडीओ एमएल सिदार ने बताया कि धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों की संख्या अभी बढ़ी है। सभी दल पर निगरानी रखी जा रही है। हाथी प्रभावित गांव में सुरक्षा के लिए मुनादी कराने के साथ-साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जंगल में ग्रामीणों के अकेले जाने से मना किया जा रहा है।