




धर्मजयगढ़ न्यूज़—- छठ पर्व मुख्यत बिहार में मनाया जाने वाला मुख्य पर्व है ,जो कि अब भारत ही नहीं पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है।लोग उगते सूर्य को नमस्कार करते है।किंतु छठ पर्व ऐसा है जहां अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देकर नमस्कार करते है।छठ पर्व सूर्य भगवान का आराधना का पर्व है। इस पर्व को वर्ष में दो बार मनाया जाता है।
पहली बार चैत्र नवरात्रि में और दूसरा कार्तिक में ।जिसे कार्तिक छठ कहा जाता है।पारिवारिक सुख समृद्धि तथा मनवांछित फल प्राप्ति के लिए पर्व मनाया जाता है।सूर्य षष्ठी मैया का भाई बहन का संबंध है मूल प्रकृति के छठी अंश से प्रकट होने के कारण इसका नाम षष्ठी पड़ा ये कार्तिकेय जी के पत्नी भी है।
मान्यता के अनुसार छठी मैया संतानों की रक्षा करती है।चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पहला दिन नहाए खाए के रूप में दूसरे दिन लुहांडा और खरने तीसरे दिन संध्या अर्घ्य चौथे दिन ऊषा अर्घ्य के साथ पर्व का समापन किया ग या।मांड नदी के पवित्र तट पर सभी जाति धर्म के लोग एकत्र होकर बाजे गाजे एवं आतिशबाजी के साथ इस पर्व को मनाते है।
लोक आस्था का यह पर्व जन आस्था का पर्व हो गया है। वहीं पर्व की व्यवस्था में लगी नवयुवक संघ की समिति ने बताया कि आमजन के सहयोग से आने वाले वर्ष में इसे ओर भी भव्य रूप से मनाया जाएगा।