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लेमरु एलीफेंट रिजर्व में हाथियों को लग रहा मौत का करंट एक के बाद एक लगातार हो रही मौत विभाग पर खड़ा कर रहा है सवालिया निशान

Vivek Pandey
Last updated: 3 September 2025 08:02
Vivek Pandey
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6 Min Read
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  • खेतों में बोरवेल और झटका मशीन के लिए खींच रहे वैध-अवैध कनेक्शन, मानक ऊंचाई से नीचे लटक रहे तार, ढाई साल में 14 हाथियों की मौत धरमजयगढ़ वनमंडल में

धरमजयगढ़ न्यूज। रायगढ़ जिले में हाथियों की मौत का सिलसिला कई सालों से चल रहा है लेकिन रोका नहीं जा सका है। इसके कारण झकझोरने वाले हैं। ज्यादातर हाथियों की मौत इसलिए हो रही है क्योंकि हाई वोल्टेज बिजली तार मानक ऊंचाई से नीचे रहते हैं और गहराई में जाएं तो पता चलेगा कि धरमजयगढ़ वनमंडल में वैध से ज्यादा अवैध विद्युत कनेक्शन हाथियों की मौत की वजह हैं। बीते ढाई सालों में 14 हाथियों की मौत हो चुकी है जिसमें से 8 बिजली करंट से मरे हैं।वर्ष 2010 में केंद्र सरकार ने हाथी को नेशनल हेरिटेज एनिमल घोषित किया है, लेकिन यह सिर्फ घोषणा ही है, इसका वास्तविकता से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। औद्योगीकरण का खामियाजा केवल मानव नहीं चुकाता बल्कि वन्य प्राणी भी उतनी ही कीमत चुकाते हैं। हाथी-मानव द्वंद्व के कारण धरमजयगढ़ वनमंडल हमेशा से संवेदनशील रहा है। राज्य सरकार ने लेमरू एलीफेंट रिजर्व में इस वनमंडल का 40 हजार वर्ग हेक्टेयर क्षेत्र जा रहा है। धरमजयगढ़, कापू और बोरो रेंज ही लेमरू एलीफेंट रिजर्व में शामिल किए गए हैं। अब भी इस वनमंडल में हाथियों की लगातार मौतें हो रही हैं। वर्ष 21-22 में 4, 22-23 में 5 और 23-24 में अब तक 5 हाथियों की मौतें हो चुकी हैं। इसमें से आठ हाथी केवल बिजली करंट के कारण मारे गए हैं। यह एक बेहद गंभीर मामला है।

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लेमरु एलीफेंट रिजर्व में हाथियों को लग रहा मौत का करंट?

  • Raigarh
  • 1 December 2023
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  • खेतों में बोरवेल और झटका मशीन के लिए खींच रहे वैध-अवैध कनेक्शन, मानक ऊंचाई से नीचे लटक रहे तार, ढाई साल में 14 हाथियों की मौत धरमजयगढ़ वनमंडल में

रायगढ़, 30 नवंबर। रायगढ़ जिले में हाथियों की मौत का सिलसिला कई सालों से चल रहा है लेकिन रोका नहीं जा सका है। इसके कारण झकझोरने वाले हैं। ज्यादातर हाथियों की मौत इसलिए हो रही है क्योंकि हाई वोल्टेज बिजली तार मानक ऊंचाई से नीचे रहते हैं और गहराई में जाएं तो पता चलेगा कि धरमजयगढ़ वनमंडल में वैध से ज्यादा अवैध विद्युत कनेक्शन हाथियों की मौत की वजह हैं। बीते ढाई सालों में 14 हाथियों की मौत हो चुकी है जिसमें से 8 बिजली करंट से मरे हैं।

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वर्ष 2010 में केंद्र सरकार ने हाथी को नेशनल हेरिटेज एनिमल घोषित किया है, लेकिन यह सिर्फ घोषणा ही है, इसका वास्तविकता से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। औद्योगीकरण का खामियाजा केवल मानव नहीं चुकाता बल्कि वन्य प्राणी भी उतनी ही कीमत चुकाते हैं। हाथी-मानव द्वंद्व के कारण धरमजयगढ़ वनमंडल हमेशा से संवेदनशील रहा है। राज्य सरकार ने लेमरू एलीफेंट रिजर्व में इस वनमंडल का 40 हजार वर्ग हेक्टेयर क्षेत्र जा रहा है। धरमजयगढ़, कापू और बोरो रेंज ही लेमरू एलीफेंट रिजर्व में शामिल किए गए हैं। अब भी इस वनमंडल में हाथियों की लगातार मौतें हो रही हैं। वर्ष 21-22 में 4, 22-23 में 5 और 23-24 में अब तक 5 हाथियों की मौतें हो चुकी हैं। इसमें से आठ हाथी केवल बिजली करंट के कारण मारे गए हैं। यह एक बेहद गंभीर मामला है।

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इसकी पड़ताल करने पर पता चला कि धरमजयगढ़

में कई लोगों ने खेतों में बोरवेल के लिए अवैध कनेक्शन लिए हैं। बिजली खंभे दूर होने के कारण हाई टेंशन तार नीचे झूलता रहता है। इसी में हाथी फंसकर जान गंवाते हैं। इसके अलावा वैध कनेक्शन के लिए भी विद्युत बिजली खंभे नहीं लगाता। इसलिए भी तार की ऊंचाई कम ही रहती है। हाथी प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां बिजली तारों की मानक ऊंचाई का पालन होना बेहद जरूरी है। कई किसानों ने खेतों में बोरवेल का स्टार्टर असुरक्षित तरीके से लगा रखा है। हाथी इसे खींच देते हैं, और करंट की चपेट में आ जाते हैं। इस मामले में विद्युत विभाग की कार्रवाई बेहद सतही है। अवैध बोर कनेक्शनों को पहचान कर बंद करने के बजाय इन्हें चलने दिया जा रहा है।नहीं करते कार्रवाई इसलिए हालात गंभीर
धरमजयगढ़ वनमंडल में हाथियों से ज्यादा जनहानि हुई है। इसकी वजह हाथियों के आवाजाही रूट में आबादी बढऩा भी है। जिन जंगलों में केवल हाथी विचरण करते थे, अब वहां तक मनुष्य का दखल बढ़ गया है। कई कंपनियों की निगाह धरमजयगढ़ के कोयला भंडार पर भी है। हाथियों की मौत का सबसे बड़ा कारण करंट ही है, जिसमें बिजली विभाग को कार्रवाई करनी है, लेकिन स्थानीयों के दबाव में ऐसे अवैध कनेक्शनों को नहीं काटा जा रहा है।

क्या कहते हैं डीएफओ
धरमजयगढ़ वनमंडल में हाथियों की करंट से मौतें चिंताजनक हैं। इसे रोकने के उपाय किए जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण हाईटेंशन तारों का कम ऊंचाई पर लटकना है।
– अभिषेक जोगावत, डीएफओ, धरमजयगढ़

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