




प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध और प्रमुख त्योहार हरेली है. इसे लेकर किसानों और ग्रामीणों ने तैयारी शुरू कर दी है. धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार का बड़ा महत्व है. प्रदेश का सबसे पहला पर्व (तिहार) हरेली है. फसल की बुवाई के बाद इस उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है. कृषि औजारों की पूजा कर पारंपरिक खेलों का लुत्फ लिया जाता है.हरेली पर्व हर वर्ष सावन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. जो इस बार 4 अगस्त को मनाई जाएगी. हरेली के दिन घर के मुख्य द्वार पर नीम की पत्ती लगाकर और चौखट में कील ठोंकने की परम्परा है. हरेली पर्व तो बहुत से ही राज्य में मनाया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ में बहुत ही धूमधाम से हरेली पर्व को मनाया जाता है. हरेली पर्व छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार है.हरेली पर्व पर पूजा का शुभ मुहूर्त (Hareli Tyohar Shubh Muhurat)
सावन माह की अमावस्या तिथि 3 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन 4 अगस्त को दोपहर 4 बजकर 42 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या रविवार 4 अगस्त को मनाई जाएगी. हरियाली अमावस्या के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा.
गेड़ी पर चलने की परम्परा

हरेली में किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और मीठे व्यंजन का आनंद लेते हैं. आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेते हैं. इसलिए, सुबह से ही घरों में गेड़ी बनाने का काम शुरू हो जाता है. इस दिन, कुछ लोग बहुत ऊंची गेड़ी बनवाते हैं. कुछ स्थानों पर गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता भी आयोजित होती है.