




रायगढ़। क्या ऐसा संभव है कि 2021 में किसी जमीन पर पोल्ट्री फार्म लगा हो और 2023 में उसका नामोनिशान तक बाकी न हो। पता चला है कि पोल्ट्री फार्म को हवा उड़ा ले गई। यह चमत्कार बजरमुड़ा में हुआ है। राज्य स्तरीय जांच टीम को मौके पर कोई पोल्ट्री फार्म मिला ही नहीं लेकिन सवा करोड़ रुपए मुआवजा दिया जा चुका है। पूरे प्रदेश में रायगढ़ जिले के तमनार तहसील का बजरमुड़ा गांव अचंभे की तरह हो चुका है। हर कोई हैरान है कि शासन-प्रशासन में बैठे हुए इतने तेजतर्रार अफसरों के होते हुए इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया। सरकार को आम जनता से मिले राजस्व को मुआवजे के रूप में यहां बांटा गया।झूठी रिपोर्ट बनाकर 415 करोड़ रुपए का अवार्ड पारित किया गया। ऐसा भी नहीं है कि तब घरघोड़ा में कोई अज्ञानी, अनुभवहीन अधिकारी एसडीएम की कुर्सी पर बैठा हो। इसके बावजूद 170 हे. क्षेत्र का मुआवजा 415 करोड़ बन गया। बजरमुड़ा वर्तमान में प्रदेश का सबसे महंगा गांव बन चुका है। जांच रिपोर्ट में बिंदुवार भूअर्जन अधिकारी द्वारा की गई गलतियों को उधेड़ा गया है। बजरमुड़ा का खसरा नंबर 97 खुद में एक बड़ा घोटाला है। 7.1630 हे. भूमि पर एक-दो नहीं बल्कि 50 मकानों का मुआवजा अलग-अलग लोगों को दिया गया है। इस जमीन पर केवल दो ही मकान मिले हैं। मकान के अलावा लोगों ने टीन शेड, बाउंड्री आदि का भी मुआवजा ले लिया जो मौके पर हैं ही नहीं।कम से कम 20 करोड़ रुपए का मुआवजा इस जमीन पर दिया गया है। यह भूमि शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है। इसी खसरा में ओमप्रकाश पिता टीकाराम अघरिया को 1.92 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिसमें से 1.89 करोड़ रुपए पोल्ट्री फार्म, पक्का मकान, बरामदा, कोठा आदि के नाम पर है। मुआवजा पत्रक के अनुसार ओमप्रकाश को 1.30 करोड़ रुपए पोल्ट्री फार्म का मुआवजा मिला है। मौके पर कोई भी पोल्ट्री फार्म नहीं पाया गया। जब जांच टीम ने पूछा तो बताया गया कि पोल्ट्री फार्म हवा में उड़ गया
।पिता के नाम पर भी पौने दो करोड़
यही नहीं ओमप्रकाश के पिता टीकाराम के नाम पर पक्का बरामदा एजबेस्टर, बाउंड्रीवॉल, कोठा, शौचालय, मकान पक्का एस्बेस्टस, पटाव पक्का आदि का 1.70 करोड़ रुपए मुआवजा भुगतान किया गया है। मतलब पिता पुत्र को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के बदले 3 करोड़ रुपए मिल गए। यह बेहद अद्भुत तरह का अवार्ड था जिसमें हर कोई मालामाल हो गया। सीएसपीडीसीएल एक सरकारी कंपनी है। सरकारी रुपयों की खुलेआम बंदरबांट हुई। दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई के बजाय रिपोर्ट को ही गायब करने में प्रशासन जुट गया है।