




बजरमुड़ा में मनमाना मुआवजा गणना को विधि विरुद्ध बताकर सीएसपीजीसीएल ने कलेक्टर न्यायालय में की थी अपील, एसडीएम को बचाने के लिए बिना जांच के ही प्रकरण निराकृत, तब जांच होती तो रुक जाता घपला
रायगढ़, 20अक्टूबर। बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाले में हम जितना गहराई तक जाएंगे, उतनी ही परतें प्याज के छिलकों की तरह निकलती जाएंगी। इस घपले में पूरा सरकारी सिस्टम ही दोषी है जिसमें ऊपर से नीचे तक सारे अफसर शामिल हैं। छग शासन की ही कंपनी सीएसपीजीसीएल को आवंटित कोयला खदान में घपला हो गया जिस पर कंपनी ने कलेक्टर न्यायालय में भी आपत्ति की थी। इसमें तत्कालीन कलेक्टर ने एसडीएम को बचाने के लिए कंपनी को ही करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।
गारे पेलमा सेक्टर-3 कोल ब्लॉक का आवंटन छग स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड छग को हुआ था। छग में ही कोयले का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाना था। इसमें मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। खनिज साधन विभाग ने 8 दिसंबर 2016 को आदेश दिया जिसमें कंपनी को 23 फरवरी 2017 से 22 फरवरी 2047 तक 30 साल की लीज स्वीकृत की गई। इसमें निजी भूमि लीज क्षेत्र के अंदर 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि पर सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। मतलब 8 दिसंबर 2017 से ही इन गांवों में डायवर्सन, टुकड़ों में खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लग गया था। प्रभावितों को क्षतिपूर्ति राशि के आकलन के लिए तत्कालीन एसडीएम घरघोड़ा ने सर्वे करवाया। जुलाई 2020 को प्रारंभिक सूचना प्रकाशित की गई। इश्तहार प्रकाशन के बाद भूमिस्वामियों की आपत्ति आई।22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। इसमें केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। सीएसपीजीसीएल ने अवार्ड राशि से क्षुब्ध होकर कलेक्टर के समक्ष अपील की जिसमें केवल ब्याज को 32 माह से घटाकर 6 माह का किया गया। कंपनी को केवल इतनी राहत मिली कि मुआवजा 415.69 करोड़ हो गया। परिसंपत्तियों के आकलन भारी भ्रष्टाचार किया गया जिसमें तत्कालीन एसडीएम समेत कई पटवारी, आरआई, तहसीलदार, लिपिक, सरपंच, सचिव, दलाल शामिल हैं। दरअसल कंपनी ने जिन बिंदुओं में आपत्ति की थी, उन पर जांच होनी थी। लेकिन तत्कालीन कलेक्टर ने बिना जांच के ही आदेश एसडीएम के पक्ष में पारित कर दिया। आदेश की प्रति देखने पर यह साफ पता चलता है कि कहां पर गड़बड़ी की गई।
15 बिंदुओं में की थी आपत्तियां
बजरमुड़ा ने इस कोल माइंस प्रोजेक्ट की लागत में 300 करोड़ का इजाफा कर दिया। सीएसपीजीसीएल ने 15 बिंदुओं में आपत्ति की थी। अवार्ड को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध होने के कारण निरस्त करने की मांग की गई। भूअर्जन अधिनियम 2013 के नियमों को अनदेखा किया गया। सतही अधिकार के प्रकरण में विधि संबंधी गंभीर त्रुटि की गई है। एसआईए को तैयार करने कार्यवाही नहीं की गई। भूमि एवं उसके परिसंपत्तियों की गणना के बाद उस पर ब्याज लगाया गया है जबकि उक्त तिथि तक जमीन पर कब्जा ही नहीं दिया गया था। प्रारंभिक अधिसूचना का प्रकाशन 13 जुलाई 2020 को की गई जिसे आधार मानकर ब्याज गणना की जाती है। इसके बाद भूमि पर कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता लेकिन इस पर रोक नहीं लगाया गया, बल्कि 25 अप्रैल 2018 से किए गए सर्वे में नए निर्माण को शामिल किया गया