




राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ वन विभाग भी सन्देह के दायरे में
रायगढ़, 11 अक्टूबर। तमनार का बजरमुड़ा घोटाला आने वाले कई नए घपलों-घोटालों की जननी है। अगर बजरमुड़ा को नहीं रोका जा सकता तो आगे भी कुछ नहीं हो सकता। अब वन अधिकार पट्टों पर मिले मुआवजे पर हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई है। बजरमुड़ा गांव में केवल पांच लोगों को वन अधिकार पट्टा दिया गया। एक खसरे में तो केवल दो को ही पट्टा दिया गया था। इन्होंने वहां मकान बना लिए। मुआवजा पाने वालों की संख्या 52 हो गई। इनको 4.63 करोड़ का मुआवजा दिया गया है। बजरमुड़ा में वन भूमि और राजस्व वन भूमि में पांच लोगों को पट्टा दिया गया था। खसरा नंबर 146 में हेमकुंवर और उग्रसेन को पट्टा मिला। जबकि खनं 74 में ठिनीराम और अरुण कुमार को मुआवजा मिला।
इसके अलावा खनं 147 में बंधन को पट्टा मिला था। खनं 146 की जांच की गई तो इसमें दो ही मकान पाए गए। जबकि मुआवजा पत्रक में 52 मकान दर्ज हैं। इन 52 मकानों को कुल 4,63,38,945 रुपए का मुआवजा बांटा गया। हेमकुंवर और उग्रसेन को 1.011 हे. भूमि की राशि करीब 62 लाख रुपए मिली। इसी खनं में बंधन को भी भूमि के 25 लाख रुपए दे दिए गए। 50 ऐसे लोगों को मुआवजा दे दिया गया, जिनको न पट्टा मिला था और न ही उनका कोई मकान था। इस खसरा नंबर में वैध वन अधिकार पट्टाधारकों को केवल 75 लाख रुपए मिले। बाकी के करीब चार करोड़ रुपए फर्जी लोगों में बांट दिए गए।
विभाग की टीम के अलावा वन विभाग की ओर से भी कोई कर्मचारी सर्वे टीम में होगा। बजरमुड़ा में ऐसी-ऐसी गड़बड़ी की गई है जो प्रथम दृष्ट्या ही जांच में पकड़ी गई। मुआवजा पत्रक और मौके का मिलान करने भर से यह घपला उजागर हो गया। मुआवजा के लिए सर्वे में तो गड़बड़ी की गई। मुआवजा वितरण में भी एसडीएम कार्यालय की भूमिका संदिग्ध है। सीएसपीजीसीएल को आवंटित कोल ब्लॉक में बजरमुड़ा घोटाला एक दाग की तरह है।
मालामाल हो गए कई कर्मचारी
बजरमुड़ा मामले में कई सरकारी कर्मचारी मालामाल हो गए। वन अधिकार पट्टे में जो मुआवजा दिया गया, वह तो फर्जीवाड़े की पूरी कहानी कह रहा है। बिना पट्टा प्राप्त लोगों को पांच करोड़ रुपए दे दिए गए। जबकि पट्टे की तस्दीक की जानी थी। ऐसे ही बजरमुड़ा में मुआवजा वितरण के दौरान कई कर्मचारी मालामाल हो चुके हैं। घरघोड़ा और तमनार के कई सरकारी मुलाजिम आय से अधिक संपत्ति के घेरे में हैं।
रिटायरमेंट के बाद भी जमे
सूत्रों के मुताबिक बजरमुड़ा कांड के दौरान एसडीएम के खास रहे एक बाबू वर्तमान एसडीएम के भी खासमखास बन चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद भी वह बाबू एसडीएम कार्यालय में डायवर्सन के प्रकरण चुटकियों में निपटा रहा है। बताया जा रहा है कि यह बाबू इतना ताकतवर हो चुका है कि कोई अफसर भी इसके सामने नहीं टिकता। सभी उसी के हिसाब से चलते हैं। घरघोड़ा तहसील में भी इसके बहुत चर्चे हैं।