




धरमजयगढ़। सरकार ने ग्रामीण अंचलों तक स्वच्छ जल पहुँचाने का सपना दिखाया था। बड़े-बड़े दावे और घोषणाएँ हुईं, योजनाओं की चमकदार तख्तियाँ गांव की चौपालों पर गाड़ दी गईं, परंतु धरातल पर सच्चाई कहीं और ही कहानी कह रही है।
आपको बता दें,धरमजयगढ़ विकासखंड के कापू क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुमा का आश्रित गांव नकनापारा इसका ताजा उदाहरण है। यहां जलजीवन मिशन के नाम पर ऐसा खेल रचा गया, मानो सिर्फ दिखावा ही पूरा करना हो। जहां नए बोर खनन की आवश्यकता थी, वहां पुराने बोरिंग से पाइप और उपकरण निकालकर महज़ फोटो सेशन कर लिया गया। मशीनें आईं, कैमरे चमके, तस्वीरें उतारी गईं और फिर सबकुछ गायब। ग्रामीण आज भी उसी पुराने कुएं-बोरिंग के पानी पर निर्भर हैं, जिसे वे वर्षों से पीते आ रहे हैं।

बता दें,कुमा पंचायत में लगे बोर्ड के अनुसार इस योजना की लागत 26.82 लाख रुपये दर्शाई गई है। निर्माण एजेंसी श्री बालाजी कंस्ट्रक्शन, जांजगीर को यह कार्य सौंपा गया है। कार्यपालन अभियंता परीक्षित चौधरी और उप अभियंता जयचंद भगत इस योजना के प्रभारी हैं। बोर्ड पर कार्य की शुरुआत की तारीख तो दर्ज है – 26 जून 2023 – लेकिन पूर्णता की कोई तिथि नहीं दिखाई गई।
वहीं ग्रामीणों का सवाल सीधा है – “जब काम चला तब भी अधिकारी नहीं आए, बाद में भी नहीं आए, तो फिर निगरानी कौन कर रहा है?” वे कहते हैं – “हम कुएं-बोरिंग का पानी पी रहे थे, उसमें क्या कमी थी? सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को लोगों ने समाप्त कर सरकार को भी बदनाम करने मै कोई कोर कसर नहीं छोड़ा.

बहरहाल वाकई में साफ झलक रही है, कि जलजीवन मिशन का सपना गांवों में स्वच्छ पानी नहीं, बल्कि निराशा छोड़ गया है। योजनाओं की तख्तियाँ चमक रही हैं, परंतु नल से पानी की बूंद तक नहीं टपक रही। धरमजयगढ़ अंचल में यह मिशन फिलहाल एक छलावे से अधिक कुछ नहीं।







